रविवार, अप्रैल 07, 2013

मलिन सोच

सत्य वचन सुनाता है समझे
जग बीती बताता है समझे
दशा भयी कितनो की है यह   
'निर्जन' कथा दिखता है समझे

राह खड़ी फुसलावत है समझे 
कामुकता से रिझावत है समझे 
मकड़जाल में माया के यह 
फंसने पर छटपटावत है समझे 

ताज़ा ताज़ा दिल हारा है समझे  
बकरा कितना प्यारा है समझे 
जो मलिन सोच से बंधता है यह
जीवन में खुद का मारा है समझे

शादी अब कारोबार है समझे
सौदों की भरमार है समझे
दिल के रिश्तों को भी अब यह 
मिला नया बाज़ार है समझे

बातों को खरताल है समझे
सोना चांदी माल है समझे
जीवन में आव़ाज़ाही को यह   
बच्चों का खिलवाड़ है समझे

आते ही रंग दिखलाती है समझे
चप्पल जूते चलवाती है समझे
मासूम सदा बनकर जो है यह
घर में कलह करवाती है समझे

पौ फटते फ़रमाइश है समझे
जेब की भी नुमाइश है समझे
खर्चें हरी पत्तियां जो है यह
मेहनत की कमाई है समझे


व्यापार चौपट करवाती है समझे
दर दर धक्के खिलवाती है समझे 
व्यक्तित्वहीन सोच जो है यह 
मनुष्य को दरिंदा बनवाती है समझे 

नित नए स्वांग रचाती है समझे
जीवन चलचित्र बनाती है समझे
मान अपमान के मोल को यह
तफ़री में उड़ाती है समझे  

आँख निकाल गुर्राती है समझे
शोले रोज़ बरसाती है समझे
जीवन पावन पुस्तक को यह
क्रोधाग्नि में जलाती है समझे

तंतर-मंतर करवाती है समझे
दिल में फाँस गड़वाती है समझे
संबंधो में परस्पर प्रेम को यह  
सूली पर चढ़वाती है समझे

संतान विच्छेद करवाती है समझे
उलटी पट्टी पढ़वाती है समझे
अनुचित शिक्षा में माहिर है यह 
बालक भविष्य डुबाती है समझे 

पिता-पुत्र लड़वाती है समझे 
बहन-भाई भिड़वाती है समझे 
बैठे दूर तमाशबीन बन यह  
रिश्तों में फूट डलवाती है समझे 

मान मर्यादा भूली है समझे
क्रियाचारित्र पर झूली है समझे
अपमानित अभद्र व्यवहार से यह
मुंह काला कर भूली है समझे

माल समेट भागे है समझे
पता कहीं ना पावे है समझे
झूठे तर्क दिखाकर कर यह  
कोर्ट केस कर जावे है समझे

नर्क भ्रमण करवाती है समझे
यमलोक पहुंचती है समझे
सज्जन पुरुषों की तो यह
अर्थी तक बंधवाती है समझे

शुभचिंतक यही सुझाता है समझे
मलिन विचारणा में कभी न उलझे 
जिस क्षण दिल में आ जाती है यह
ऊर्जा नष्ट कर के जाती है समझे

इससे अब सब बचकर रहना 
ज़िंदगी में साथ न इसका देना 
जो यह कहीं मिल जाये तुमको 
रसीद तमाचा रखकर देना

14 टिप्‍पणियां:

  1. अब भी ना समझें तो फिर तो ........
    ज्ञान की बातें सटीक होती है और प्रस्तुती उत्तम !!
    ढेरों शुभकामनायें !!

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  2. मलिन विचारधारा में न उलझें हम ..
    बहुत सुंदर अभिव्‍यक्ति .. शुभकामनाएं !!

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    साझा करने के लिए आभार!

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  4. बहुत ही बेहतरीन समझ के साथ सार्थक प्रस्तुति,आभार.

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  5. अब भी न समझे ..तो न समझो ....
    बहुत सारे दिलों की घुटन निकाल दी आपने !
    शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  6. मलिन विचार ...क्या-क्या कहर ढाते हैं ...बहुत विस्तृत और सही वर्णन ....बहुत सकरात्मक उर्जा दे रही है आपकी कविता ...शुक्रिया

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  7. मलिन विचारों कि सार्थक सोच के लिए बधाई
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (08 -04-2013) के चर्चा मंच 1208 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है | सूचनार्थ

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  8. बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति
    पधारें "आँसुओं के मोती"

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  9. तुषार राज जी, आप मेरे ब्लॉग पर आये, सुन कर बहुत अच्छा लगा. मैंने शुरू में ही लिखा है की मुझे ब्लॉग बनाना नहीं आता. मैं उसमे किसी ने क्या कमेंट किया है, यह भी नहीं देख पाता . जवाब देने की तो नौबत ही नहीं आती. कृपया मुझे मेल में यह बताये की विसिटोर्स को कैसे आन किया जाये. मेरी ईमेल है vinodpassy@gmail.com. मैं भी चाहता हूँ की अधिक से अधिक लोग मेरे ब्लॉग पर आयें, मेरे विचारो को पढ़े और उन पर कमेंट्स करें, पर यह सब कैसे संभव होगा मुझे नहीं मालूम. मैं ५९ वर्ष का हूँ और कोई जवान बच्चा भी मेरे पास नहीं है, जिसकी मैं मदद ले सकूं

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