शनिवार, जुलाई 06, 2013

ख़ुशी और सुख

















ख़ुशी और सुख के
अनमोल खज़ाने
ले चल मुझको 
वहां ठिकाने 
जहाँ तेरा ही 
बस डेरा हो 
जहाँ आनंद ने 
घेरा हो 
तेरे उस 
अथाह समुन्द्र में
क्या मैं 
डूब ना जाऊंगा 
उबरने की 
कोई जगह ना हो 
बस मुस्कानों में 
डूबता जाऊंगा  
ले चल मुझे 
एक अनोखे जहाँ में 
कपट, लोभ, नफरत से दूर 
जहाँ तू भी अकेला है 
यहाँ मैं भी अकेला हूँ 
'निर्जन' मीत तू बन ऐसे 
जैसे सागर में फेना है 
ओ मेरे सुख
बस इस दिल में 
एक तेरा ही बसेरा है 
जीवन दुःख से मुक्त हो 
आत्मा बंधन से रिक्त हो 
एक ऐसे खुशहाल संसार में 
जहाँ सिर्फ खुशियों का डेरा हो 
ओ सुख के अनमोल खज़ाने
ले चल मुझको वहां ठिकाने

20 टिप्‍पणियां:

  1. ख़ुशी और सुख के
    अनमोल खज़ाने
    ले चल मुझको
    वहां ठिकाने
    जहाँ तेरा ही
    बस डेरा हो
    जहाँ आनंद ने
    घेरा हो
    तेरे उस
    अथाह समुन्द्र में
    क्या मैं
    डूब ना जाऊंगा
    उबरने की
    कोई जगह ना हो
    बस मुस्कानों में
    डूबता जाऊंगा
    every man 's wish .all the best .

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  2. एक ऐसा खुशहाल संसार में जहाँ खुशियों का डेरा हो... बहुत सुंदर ..

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  3. बहुत ही सुंदर, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  4. हर कोई जाना चाहेगा उस ठिकाने पर...

    सुंदर भाव!

    ~सादर!!!

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  5. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।

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  6. ऐसी कामना इसलिए हुई क्‍योंकि चारों तरफ राक्षसी वातावरण व्‍याप्‍त हो चुका है। आपकी पीड़ा इतनी बढ़ गई कि ऐसी सुखद कामना लिए हुए कविता का सृजन हो गया। सुन्‍दर।

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  7. बहुत सुन्दर भाव है..आमीन..

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  8. ek pyare se sansar ki chahat....:)
    .blog bulletin ke raste yahan pahuchna sukhad raha :)

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (07-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/“ मँहगाई की बीन पे , नाच रहे हैं साँप” (चर्चा मंच-अंकः1299) <a href=" पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  10. मैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!
    --
    पूर्व के कमेंट में सुधार!
    आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।
    सूचनार्थ...!
    --

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  11. खुशियों की तलाश में जिंदगी कहाँ से कहाँ गुजर गयी !

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  12. सुख तो अपने अंदर ही मिलेगा ... बस इमानदारी से देखने की जरूरत है ...

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  13. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....

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  14. आप सभी सह ब्लॉगर साथियों का हार्दिक अभिनन्दन और शुक्रिया | मेरी रचना को सराहने के लिए बहुत बहुत आभार |

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  15. सर आपने प्रत्येक इंसान की हाहिृक इच्छा को सुन्दर शब्दों का रूप दिया है !
    इंसानी ख्वाहिश बढ़ती जाये
    प्यार सभी से पाना चाहे
    सुख हमेशा भोगे जायें
    जब जब थोड़ा दुख है आवै
    मन विचलित सा होता जाये

    जवाब देंहटाएं

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